मेरा नाम रोहन है, और मैं 28 साल का युवक हूँ। मैं अब तक कई लड़कियों और भाभी के साथ शारीरिक संबंध बना चुका हूँ। मुझे शादीशुदा भाभी के साथ संबंध बनाने में मजा आता है।
मुझे भाभी के साथ शारीरिक संबंध बनाने से ज्यादा उनकी गांड मार ने में आनंद आता है। इसलिए मैं हमेशा शादीशुदा भाभी को पटाने की कोशिश में रहता हूँ क्योंकि वे इस मामले में ज्यादा संकोच नहीं करतीं। खैर, वह कहानियां फिर कभी सुनाऊंगा। अब इस कहानी पर आता हूँ।
यह कहानी लगभग 4 साल पहले की है। उस समय मैं 24 साल का था। मेरी गर्लफ्रेंड मुझे चुत मार ने तो देती है, लेकिन वह गांड मारने नहीं देती थी। मैं बहुत कोशिश कर चुका था, लेकिन सफल नहीं हो पा रहा था। मेरी गर्लफ्रेंड की चुत तो में मारता रहेता था, लेकिन मुझे किसी की गांड मारने की भी चुल मची हुई थी। उस समय जो 1-2 भाभियाँ मेरे संपर्क में थीं, उनसे भी मिलने का मौका नहीं बन पा रहा था। किसी का पति घर में था, तो किसी को कुछ और काम थे। अब मैं एक नई भाभियाँ की गांड की तलाश में था।
तभी एक दिन मेरे पापा ने बताया कि अगले हफ्ते मेरे चाचा की बेटी की शादी थी। मुझे 4-5 दिन पहले बुला लिया था, ताकि काम में मदद कर सकूं। तो मैंने सोचा, भाभी की गांड तो नहीं मिल रही, कम से कम वहाँ काम में व्यस्त रहूंगा तो मन शांत रहेगा।
मैंने पापा से कहा, “4-5 दिन पहले क्या, मैं कल ही निकल जाता हूँ।”
पापा ने भी सहमति दे दी। अगले दिन सुबह ही मैं निकल गया, और 2 बजे में वहाँ पहुँच गया। शादी वाले घर था इसलिए काम बहुत था । वहां पहुँचते ही मैं भी कामों में लग गया। वह दिन ऐसे ही बीत गया। अगले दिन सुबह 9 बजे पड़ोस की कुछ भाभियाँ घर पर आईं। हमारे गांव में यह रिवाज है कि शादी से पहले कुछ दिन भाभियाँ हर दिन 1-2 घंटों के लिए शादी के गीत गाती हैं।
करीब 10-20 भाभियाँ आई हुई थीं। कुछ जवान थीं। एक भाभी की गांड देखकर मेरा मन फिर से उसी काम के लिए ललचाने लगा। मन कर रहा था कि किसी भाभी को पकड़ कर उसकी गांड मार ही दूं। करीब 10-15 मिनट बाद मेरी नजर एक 30-32 साल की भाभी पर पड़ी। उफ्फ, क्या हॉट और सेक्सी लग रही थी। मैं मन ही मन उसे चुद ने का सोच लिया।
मैंने अपने चाचा के छोटे लड़के विक्रम से उसके बारे में पूछा। वह मुझसे 2 साल छोटा है। हम दोनों के बीच अक्सर ऐसी बातें होती रहती थीं। तो विक्रम ने बताया की वो जानवी भाभी हैं।
फिर मे बोला, “यार, क्या सेक्सी माल है। काश ईसे चुद ने को मिल जाए।”
विक्रम ने कहा, “तू कोशिश करे तो मिल भी सकती हैं। हम तो पड़ोस में रहते हैं इसलिए हमें नहीं देतीं। बाकी कई लोगों से सुना है कि इसका चक्कर है कई मर्दों के साथ। इसका पति बाहर नौकरी करता है, कभी-कभी ही घर आता है। तो यह दूसरे मर्दों से ही चुदवा के काम चलाती है।”
उसके बाद मैंने उसे पटाने की करने की कोशिश शुरू कर दी। कभी-कभी हमारी नजरें भी मिल जातीं, लेकिन मैं बिना डरे उसे घूरता रहा। फिर जब सभी भाभियाँ अपने घर चली गईं, तो वह भी उनके साथ चली गईं। दोपहर हो गई। 4 बजे थे। चाचा ने मुझे बाजार से कुछ सामान लाने को कहा । विक्रम को कुछ और काम था, इसलिए मुझे जाने को बोल दिया। बाजार वहां से करीब 10 किलोमीटर दूर था।
विक्रम ने बाइक निकाली। उसे गांव में ही थोड़ा आगे तक जाना था, तो उसने कहा, “मैं ही आगे तक चला कर ले चलता हूँ, आगे से तू ले जाना।”
आज मेरी किस्मत मेरा साथ दे रही थी क्युकी जिसकी मुझे भी उम्मीद नहीं था वो आज हुवा। थोड़ा सा आगे चलने पर वही भाभी बाजार जाने के लिए बस का इंतजार कर रही थी।
विक्रम ने बाइक रोककर उससे पूछ लिया, “भाभी, आप बाजार जा रही हो?”
भाभी ने हां कहा।
विक्रम ने कहा, “तो आप रोहन के साथ चले जाओ। यह भी कुछ सामान लेने के लिए बाजार जा रहा है। तो आपको आने जाने में कोई परेशानी नहीं होगी । मैं तो यहीं आगे की दुकान तक ही जा रहा हूँ। मैं चलकर चला जाऊंगा।”
विक्रम बाइक से उतर गया। फिर जानवी भाभी मेरे पीछे बाइक में बैठ गईं। उफ्फ्फ.. और भाभी ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा, तभी से मेरा लंड खड़ा हो चुका था। आज किस्मत मेरा पूरा साथ दे रही थी। और मैं इस मौके को गंवाना नहीं चाहता था।
थोड़ा सा आगे चलने पर मैंने उससे बातें शुरू कीं। मुझे पता था, फिर भी मैंने उसका नाम पूछा और थोड़ी सामान्य बातें कीं। अब वह भी मेरे साथ कम्फर्ट हो गईं।
भाभी ने बोला, “वैसे, देखते समय एक बार पलकें झपका लेनी चाहिए।”
मैं तुरंत बोला, “भाभी, क्या करूं, आप हो ही इतनी हॉट।”
वह थोड़ा शर्माई और मुस्कुरा पड़ीं। अब मुझे रास्ता साफ दिख रहा था। मैंने थोड़ी हिम्मत करके उससे साफ-साफ बोल दिया, “भाभी, आपकी गांड पर दिल आ गया है। एक बार दे दो।”
भाभी ने कुछ नहीं कहा, और ना ही गुस्सा हुईं। वह कुछ नहीं बोल रही थीं, करीब 10 मिनट तक भाभी कुछ नहीं बोलीं, तो मुझे गुस्सा आ गया। मैंने झटके से ब्रेक लगा कर बाइक रोक दी। उनके बूब्स झटके से मेरी पीठ में दब गए। उनके मुंह से आह की आवाज निकल गई।
तब जाकर भाभी बोलीं, “बाइक क्यों रोक दी? क्या यहाँ पे मारोगे?”
मैं: “आप तैयार हो तो कहीं भी।”
भाभी: “एक काम करो तुम रात को चुपके से मेरे घर आ जाना।”
सड़क के आस-पास कोई नहीं था, तो मैंने पीछे घूमकर भाभी को लिप किश की और साथ मे उसके बूब्स को भी साड़ी के ऊपर से दबाया ।
फिर बाजार पहुंचने तक भाभी के साथ बहुत सी सेक्सी बातें कीं। फिर सामान और भाभी के लिए उनकी पसंद के कॉन्डम लिए। भाभी ने भी बाजार से अपना सामान ले लिया और मैने भी अपना सामान ले लिया| फिर भाभी को बाइक पे बिठाया और घर की और निकल पड़। । घर आते हुए उसी जगह मैने एक बार फिर भाभी को लिप किश किया। फिर भाभी ने अपना नंबर दिया और उनको घर छोड़ दिया और भाभी को एक फ्लाइंग किश दिया और बाई बोल के में भी निकल गया।
बस अब मैं बस रात का ही इंतजार कर रहा था, लेकिन काम बहुत था तो पता ही नहीं चला रात कब हो गए। रात के करीब 11 बजे सब सो गये थे और सबके सोने के बाद मैं विक्रम को बोलकर भाभी के घर के लिए निकल गया । तो जाते-जाते मुझे विक्रम बोला, “यार, आज तू जन्नत की शेयर करले बाद मे मुझे भी जन्नत की शेयर करवा ना|”
मैंने कहा, “हा, मुझे कर लेने दे, फिर तुझे भी करवा दूंगा।”
फिर मैं वहा से निकल गया और भाभी के घर की और निकल गया।
भाभी के घर के पीछे पहुंचकर मैंने भाभी को कॉल किया तो उन्होंने कहा, “चुपके से, बिना आवाज किए ऊपर वाले कमरे पे आ जाओ।”
मैं अंधेरे में बिना आवाज की ये ऊपर चढ़ गया। फिर मैंने भाभी के फ़ोन पे मैसेज कर के उनको दरवाजा खोलने को कहा। फिर कमरे का दरवाजा खुला। कमरे भी मे लाइट बंद थी। मैं जल्दी से अंदर चला गया। फिर भाभी ने दरवाजा बंद करके कमरे की नाईट लाइट चालू करदी ।
उफ्फ, भाभी क्या सेक्सी लग रही थीं। उन्होंने काले रंग की नेट वाली नाइटी पहन रखी थी। होंठों पर हल्की लाल रंग की लिपस्टिक थी। मैंने बिना टाइम वेस्ट किए सीधा भाभी को पकड़ लिया और अपनी और खींचा और खड़े-खड़े ही उनके लिप्स चूसने लगा और नाइटी के ऊपर से ही बूब्स को दबाने लगा।
भाभी भी मेरे इंतजार में पहले से ही गर्म हो चुकी थीं। जानवी भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। करीब 5 मिनट ऐसे ही खड़े-खड़े किस करते रहे। फिर मैं वैसे ही किस करते हुए उन्हें बेड के करीब लेकर गया और थका देकर बेड पर लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ के उनको किश करने लगा।
फिर बिना किये मैंने उनकी नाइटी उतार दी। उफ्फ्फ… भाभी ने अंदर ब्रा भी नहीं पहन राखी थी। भाभी की नाइटी उतरी तो वह मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो गईं। उनके दो बड़े-बड़े बूब्स मेरी आंखों के सामने थे। मैं उन के बूब्स पर टूट पड़ा। करीब 8-10 मिनट तक मैंने भाभी के बूब्स खूब दबाए और मूह मे लेकर उसे चूसे। फिर भाभी ने भी मेरे कपड़े उतारकर मुझे नंगा कर दिया।
उसके बाद हम दोनों ने जरा भी टाइम वेस्ट नहीं किया । सीधे ही काम पर लग गए थे। अब जाकर मैंने भाभी को लंड चूसने को कहा।
तो भाभी बोलीं, “पहले कॉन्डम पहेँलो उसके बाद में लंड चूसूंगी। मुझे बिना कॉन्डम के लंड चूस ना अच्छा नहीं लगता।”
मैंने फटाफट अपनी पैंट में से कॉन्डम का पैकेट निकाला और एक कॉन्डम भाभी को दे दिया। फिर भाभी ने खुद ही कॉन्डम को मेरे लंड पर पहनाया और लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगीं।
ये कॉन्डम के साथ लंड चुसवाने का मेरा पहला अनुभव था। हालांकि उतना मजा तो नहीं आ रहा था जितना बिना कॉन्डम के लंड चुसवाने में आता है। पर ना चूसने से अच्छा ही था ये। भाभी 2 मिनट ही कॉन्डम की सारी चॉकलेट चाट गईं। अब भाभी गरम हो चुकी थी और लंड लेने के लिए तैयार थीं।
वैसे मुझे तो भाभी की गांड मारकर अपनी प्यास बुझानी थी, पर इससे पहले भाभी की चुत को शांत करना था। तो मैंने भाभी को लिटाकर में उनके ऊपर आ गया।
मैंने अपना लंड भाभी की चुत पर सेट किया। भाभी की चुत पूरी गीली हो चुकी थी। मेरा लंड बड़ी ही आसानी से भाभी की चुत में अंदर चला गया। फिर मैंने भाभी को धका मार ना शुरू किया। उनकी चुत कुछ खास टाइट नहीं थी। और टाइट होगी भी कैसे? आखिर जानवी भाभी एक 8 साल के लड़के की मां थीं। और ना जाने अब तक कितने ही मर्दों के लंड भी अपनी चुत में ले चुकी थीं।
मैं लगातार भाभी को पेलता रहा। करीब 5-6 मिनट में ही भाभी झड़ गईं। फिर मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और पीछे से चुत में लंड डाल दिया। 10 मिनट बाद मैं भी झड़ गया। भाभी भी अब तक 2 बार झड़ चुकी थीं।
फिर मैंने लंड निकालकर कॉन्डम उतारा और लंड को भाभी ने कपड़े से साफ किया। अब हम दोनों बेड पर हग कर के सो गये | और मैं भाभी की चूचियों के साथ खेलने लगा। अब मुझे भाभी की गांड पेलनी थी, तो करीब 20 मिनीट के बाद मैंने भाभी से कहा कि भाभी अब में गांड में डालूंगा। तो भाभी ने कहा ठीक है डाल ले, पर पहले थोड़ी तेल लगा लेना।
भाभी भी पुरानी खिलाड़ी थीं। पहले भी कही बार गांड मरवा चुकी ही । 10 मिनट में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। भाभी ने मुझे तेल दिया । भाभी को घोड़ी स्टाइल में करके मैंने तेल लगाकर एक उंगलियां भाभी की गांड में डाल दीं। भाभी के मुंह से सिर्फ एक हल्की सी आहहहह की सिसकारी निकली। मैंने अच्छे से भाभी की गांड को तेल से चिकनी कर दी। फिर मैने कॉन्डम चढ़ाकर लंड भाभी की गांड में सेट कर के रख दिया।
अब मैंने धीरे-धीरे लंड को अंदर डालना शुरू किया। लंड बिना रुकावट के अंदर चला गया। भाभी ने आहहह-आहहह करते हुए पूरा लंड को अपनी मे गांड के अंदर ले लिया। मैंने भाभी से कहा, “वाह मेरी रानी! तुम्हारी गांड में तो बड़ी ही आसानी से मेरा लुंड घुस गया। मेरे लुंड को जरासी भी तकलीफ नहीं हुए।”
तो भाभी हंसते हुए बोलीं, “तो तूने क्या सोचा? तू अकेला ही थोड़ी है इस दुनिया में। तेरे अलावा और भी बहुत गांड के शौकीन हैं।”
फिर मैंने भाभी की गांड पेलने लगा। मैंने लगातार 15 मिनट तक डौगी स्टाइल में भाभी की गांड मारी । फिर मैंने लंड को बहार निकालकर बेड पर लेट गया और भाभी को लंड पे बैठने को कहा। भाभी लंड को अपनी गांड में लेकर बैठ गईं और ऊपर-नीचे होनी लगी। फिर करीब 8-10 मिनट बाद ऐसे ही चोदते-चोदते मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया।
इसके बाद मैंने भाभी की चुत और गांड पूरी रात मारी । फिर करीब रात के 5 बजे मैं वहां से वापस आ गया। भाभी को चोदकर मुझे सच में बहुत मजा आया।
इसके बाद मैं शादी के बाद तक जब तक चाचा के घर रहा, मैंने जानवी भाभी को चोदने में कोई कसर नहीं छोड़ी। और भाभी को विक्रम से भी चुदवा दिया।
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